
कर्नाटक सरकार ऐसा कानून लाने की योजना बना रही है, जो जुए (gambling) को बैन करेगा लेकिन स्किल-बेस्ड गेम्स (Skill Based Games) को चलने देगा। यह कदम छत्तीसगढ़ के मॉडल जैसा होगा, जहां किस्मत के भरोसे खेले जाने वाले खेलों (Luck-Based Games like Junglee Rummy) पर रोक लगाई गई है, लेकिन स्किल और रणनीति वाले गेम्स (like BGMI, Call of Duty) को छूट मिली है।
गेमिंग इंडस्ट्री के लिए बैलेंस्ड अप्रोच
कर्नाटक के आईटी-बीटी मंत्री प्रियंक खड़गे ने 6 मार्च को बेंगलुरु में एक इवेंट के दौरान कहा, "हम ऐसा मॉडल अपनाने पर विचार कर रहे हैं, जो गेमिंग इंडस्ट्री के लिए सही माहौल बनाए। छत्तीसगढ़ मॉडल भी हमारे विचार में है।" (Moneycontrol की रिपोर्ट)
उन्होंने यह भी साफ किया कि सरकार गेमिंग इंडस्ट्री को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहती, क्योंकि खुद इंडस्ट्री भी सही नियम-कायदों की मांग कर रही है। खड़गे ने कहा, "हम इस इंडस्ट्री को बंद नहीं कर सकते—इंडस्ट्री खुद भी चाहती है कि इसे रेगुलेट किया जाए। हमारा मकसद ऐसा सिस्टम बनाना है, जो इनोवेशन को बढ़ावा दे, इंडस्ट्री को आगे बढ़ने दे और साथ ही लोगों को फर्जी गेमिंग साइट्स पर पैसे गंवाने से बचाए।"
कैसा है छत्तीसगढ़ मॉडल?
छत्तीसगढ़ का ऑनलाइन जुआ कानून, जो मार्च 2023 में लागू हुआ था, केवल ‘Games of Chance’ यानी ऐसे खेलों को टारगेट करता है, जिनमें जीत सिर्फ किस्मत पर निर्भर करती है। वहीं, स्किल, नॉलेज, ट्रेनिंग और एक्सपीरियंस पर आधारित गेम्स को इस कानून से बाहर रखा गया है।
नए कानून से पहले चर्चा जारी
बिल को तैयार करने से पहले सरकार कई विभागों से बातचीत कर रही है। खड़गे ने बताया, "हम कानून और गृह मंत्रालय से बात कर रहे हैं, क्योंकि यह मुद्दा कई क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है। गेमिंग और इनोवेशन आईटी सेक्टर के अंतर्गत आता है, इसलिए मुझे बाकी विभागों को इसकी बारीकियां समझानी होंगी। स्किल-बेस्ड गेम और पूरी तरह किस्मत पर आधारित गेम में बहुत हल्का सा फर्क है, और हमें इसे ध्यान से मैनेज करना होगा।"
पहले भी कोशिश कर चुका है कर्नाटक
यह पहली बार नहीं है जब कर्नाटक सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग को रेगुलेट करने की कोशिश की है। 2021 में, कर्नाटक पुलिस (संशोधन) विधेयक के जरिए सभी तरह के ऑनलाइन जुए पर बैन लगाने की कोशिश की गई थी। इसमें सिर्फ लॉटरी और घुड़दौड़ को छूट मिली थी, लेकिन बाकी सभी गेमिंग एक्टिविटीज बैन हो जातीं—चाहे वो स्किल-बेस्ड हों या किस्मत पर आधारित।
फरवरी 2022 में, कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस कानून के कई प्रावधानों को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया। इसके बाद, सरकार सुप्रीम कोर्ट गई, जिसने स्किल-बेस्ड गेमिंग कंपनियों को नोटिस भेजा। यह मामला अभी भी कोर्ट में चल रहा है।
भारत में एक समान नियमों की कमी
कर्नाटक का यह कदम ऐसे समय में आया है जब पूरे भारत में गेमिंग इंडस्ट्री के लिए कोई एक समान (uniform) नियम नहीं हैं। गेमिंग वेंचर फंड लुमिकाई (Lumikai) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय गेमिंग इंडस्ट्री ने FY 2024 में 3.8 बिलियन डॉलर की कमाई की, जो पिछले साल के 3.1 बिलियन डॉलर से 22.6% ज्यादा है। इसमें से 2.4 बिलियन डॉलर सिर्फ रियल-मनी गेमिंग से आया।
गेमिंग कंपनियां लंबे समय से केंद्र सरकार से मांग कर रही हैं कि एक यूनिफॉर्म नेशनल रेगुलेशन बनाया जाए, जिससे हर राज्य के अलग-अलग नियमों की वजह से होने वाली दिक्कतों से बचा जा सके। उदाहरण के लिए, हाल ही में तमिलनाडु ने रियल-मनी गेमिंग के लिए समय और यूज़ लिमिट के साथ नए राज्य-स्तरीय नियम लागू किए हैं। अब कई गेमिंग कंपनियां और एक प्लेयर एसोसिएशन इन नियमों को कोर्ट में चुनौती दे रहे हैं।
आगे क्या होगा?
फिलहाल, कर्नाटक सरकार इस नए कानून पर काम कर रही है, लेकिन इसे लागू करने से पहले कई विभागों से सलाह-मशविरा किया जाएगा। अगर यह बिल पास होता है, तो यह देश में गेमिंग रेगुलेशन को लेकर एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।
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